Saturday 9 May 2015

POORANI YAAD DAKIYE KI


**********POORANI YAAD DAKEEYE SE SAATH ***********
jAMANA BEET GAYA JO TUM NE YAAD NA KIA
HUM NE TO ROJANA DAAKEEYE SE POOCHA THA
KI KAHIN GALTI SE LIKH DIYE HON DO HARF MERE NAAM
DEKH JARA KAHIN TERI CHITTHEEON MEIN HEIN KYA ??
WO KEHTA HAI KAUN KAREGA YAAD TUMKO
KYOON BEWAJAH YAAR SATATE HO ROJ MUJH KO
YAAD KARNE WALE KAHAN LIKHTE HEIN DO HARF
WO TO SIDHEY DIL MEIN UTAR JAATE HEIN AUR KYA ??
SUNKAR US KI BAAT MEIN GUM MEIN DOOB GAYA
KYA ITNA MEIN IS KABIL NA THA KI US NE YAAD NA KIAA
KHUD SE POOCHHNE LAGA MEIN IK SWAAL AAJ
KI KYA MERE DIL MEIN JAKHMO KE SIWA AUR KUCHH NAHIN KYA ??
AJEET

ANDHA KANON YA KANOON ANDHA


***********kanoon andha ya andha kanoon**********
((((((((( waah mere desh tujh ko salaam mera))))))))))
KANOON ANDHA HAI, YA ANDHA KANOON HAI
MAINEY TO JINDGEE BITA DAALI INSAAF KE LIYE
TERI ANKHON SE SACHAEE KA PARDA NA UTRA
KYA FAYDA TERA BOOT BAKE YAHAN REHNA !!
AMMERON KE CASE SULAJH JAATE HEIN PAL MEIN
GAREEB BECHARA PAL PAL SATAYA JAATA HAI
HARAAM KI DAULAT LE LETE HEIN VAKEEL UN SE
TABHI TO SAARI RAAT JASHN MANAYA JAATA HAI !!
TAREEK PAR TAREEKH KI KHATIR GAREEB
SARA SARA DIN DHAKE KHATA REHTA HAI
PINE KO PAANI BHI NAHIN MILTA COURT MEIN
AMEERON KO THANDI BOTLON SE NEHLAYA JAATA HAI !!
LAGI REHTI HEIN KATARE SARA DIN YAHAN PAR
SOCHTA HAI JUDGE AAJ DEGA FAISLA MUJH PAR
PAR WAKT KI MAAR SE GAREEB KI DUNIA UJAD JAATI HAI
JAB AMEER BHAR DETA HAI JHOLI JUDGE KE GHAR JA KAR !!
HAM GAREEBON KA SAHARA TO AB BHAGWAAN BHI NAHIN RAHA
WO BHI RISHWAT KI JANJEERON MEIN JAKD JO RAHA
BADI LANAT HAI IS DESH KI KANOON PRAKRIYA PAR
IK INSAAAF KI KHATIR GAREEB GHAR KE BARTAN TAK BECH RAHA !!
KYOON LAGTI HAI COURT AUR KYA KARTE HEIN JUDGE YAHAN
KEWAL TARIKH KA DIKHAWA KARNE KA JAB HOTA HAI MAN UNKA
CHAMCHA BAITHA UNKA BEHKANE KE LIYE BAAT BANATA HAI
IK LACHHAAR APNI TAKLIF KO BAS SEHTA HUAA MAR JAATA HAI !!
KAVI AJIT KUMAR TALWAR

Saturday 21 February 2015

जन्म कुण्डी का खेल


लोग परेशानियो में अपनी जन्म कुंडली
पर कुछ ज्यादा गौर फरमाते हैं
जैसा ब्राह्मण कह देते हैं उनको
वो वैसा ही कर जाते हैं
न जाने कहाँ गम सी हो जाती
है उस वक्त तकदीर सब कि
जिस को खोजने के लिए
ज्योतिष विद्या खोज के लाती है
न जाने कौन सच्चा होता है
तकदीर या वक्त का अंदाज
इस सोच में ही कहीं न
कहीं अपनी तस्वीर ही खो जाती है !!
अजीत तलवार

Saturday 22 November 2014

अपने देश की उन लाडली बेटिओं के नाम....
मेरी यह...............................चंद पंक्तियां
तेरे महलों से दूर चली जाऊंगी....... , एक दिन
तेरी यादों को बर्रात साथ ले जाऊंगी.., इक दिन
तेरे प्यार की बरसात के सारे अरमान,
साथ ले जाऊंगी ...इक दिन
सोती हुई की नींद खुल जाएगी तो
तेरी याद बहुत सताएगी, ओ बाबुल..., उस दिन !!
वो तेरा प्यार से लाड़ो कहना
वो लड़कपन की याद तडपायेगी..एक दिन
उन आंसूंओं को समेट के आँचल में
दिखाने जरूर ले आऊँगी ओ बाबुला, मैं ..इक दिन !!
यह रीत किस ने बनाई है विदाई की
वो पालने में खिला के , फिर रुसवाई की
दिल फटने को होता है मेरे बाबुला
जब तुझ से प्यार की यहाँ ,मिलती ठुकराई है..एक दिन !!
अजीत
******************हिचकी *************************
हिचकी आ जाती है, न जाने कौन याद करता है
न जाने किस हालात में मिलने की फ़रियाद करता है
हम को तो न मालूम की कौन सी हिचकी किस बात की है
हो सकता है, हिचकी , निशानी किसी फ़रियाद की है !!
हम ने तो सोचा न था की ऐसा भी हो जाता है
हिचकी हीच हिच करती है, दिल हमारा धड़क जाता है
सीने पर हाथ रख कर, सोच में पड़े हुए हैं
हिचकी क्या है तेरा अंदाज, हम कशमकश में पड़े हुए हैं !!
या तो ठहर जा, या बुला के ला जिन के लिए बेचैन है
तू और मेरा यह दिल , न जाने किस बात पर यूं हैरान है
यह तो नहीं मालूम की क्या होना है और क्यूं आती है तूं
गुजारिश करता हूँ, या चली जा, या धड़कन को न बढ़ा !!
अजीत
सुन्दरता का होना आजकल कितना भयानक है
दुनिया खिंची चली आती है चुम्बक की तरह
न तो कुछ सोचती है, न ही कुछ समझती है
इक मृगनयनी के पीछे कितनी दुश्वार है दुनिया !!
होश में नहीं बेहोशी में आगे को बढती है दुनिया
सामने से चाहे गुजर जाये परिवार का कितनी मदहोश है दुनिया
न रखती है अब लाज किसी बात की न खोफ्फ़ रखती है
आने वाले समय में यह हो जायेगी सारी वीरान यह दुनिया !!
सच को जानती नहीं, झूठ का साथ बढाती है दुनिया
उस के देखे नयन नुकीले, तो कितना सीना तानती है दुनिया
किसी और के घर की अमानत को अपना बनाने को
न जाने कितने कितने भ्रम अपने मन में पालती है दुनिया !!
अजीत
जिस्म को दिखाने की इक होड़ सी लगी है
में कैसी लगती हूँ, या कैसा लगता हूँ ??
तस्वीर का अगर दूसरा पहलू देखो तो
यह बदतमीजी,,अब तो सरे राह दिखती है !!
खूबसूरती अगर मिली है तो शुक्रिया कर रब का
दिखाने से तेरा रूप सुहाना नहीं लगता है
यह तो फनाह है, बस फनाह, मिल जायेगा मिटटी में
याद रखना, इस को उठाने वाला कभी नहीं मिलता है !!
अंदर की तस्वीर दिखा दिखानी है अगर ज़माने में
अगर खुदा ने बक्शा हुआ है तुझ को इस ज़माने में
कोहिनूर सी चमकती परख रखते हैं सब मेरे प्यारो
"अजीत" का कहा हुआ, कभी ज़माने को बुरा लगता है !!
बर्बाद होती हुई दुनिया का रूप सामने आ रहा है
वो दिखाता है, जमाना देखता हुआ ही जा रहा है
ऐसा लगता है, जैसे कुछ खास रखा हुआ है
और वो इस के रूप में डूबता हुआ जा रहा है !!
अजीत