Friday 25 April 2014

**क्या हम सब डर गए**मेरी कविता देश की खातिर**

***********क्या हम सब डर गए**मेरी कविता देश की खातिर******

बॉर्डर पे लग गयी है आग
दिलों में उठ रहे हैं सैलाब
दुश्मन की बात का जवाब देना
न बांध लेना अपने हाथ !!

सर काट के वो बलवान बन गए
तब से मेरे इरादे भी हैवान बन गए
इक सर के बदले में उडा दूँ उसका समाज
जो इन्होने मेरे वीरों के घर उजाड़ गए !!

हाथ पे रख कर हाथ नेता सिरमोर बन गए
संसद में कर दिया हमला तो डरपोक बन गए
डाल कर ताबूत के भीतर वीरों का जिस्म अब
नेताओं को राजनीती के नए खेल मिल गए !!

कब तक सहन होगा, कब तक सहा जायेगा
इस बात का बदला दुश्मन से कब लिया जायेगा
दोस्ती का हाथ बढ़ा कर हमारे नेता उनसे
पता नहीं किस महाजाल के भीतर बन्ध गए !!

उजड़ गयी मांग जिसकी, घर खाली सा लगने लगा
दिल में मेरे बदला लेने का खून अब उबलने लगा
डर के आतंकवादियो से क्या देश मेरा डर गया
क्या उनकी धमकी देने से हम सब भी डर गए !!

अजीत तलवार
मेरठ

***मेरी विनती है तुझसे मेरे राम ***

**********मेरी विनती है तुझसे मेरे राम **********

मैंने रात काटी ...तेरे इंतज़ार में की तू नजर आये
सुना है तेरा दीदार करने को कुछ खोना पड़ता है 
सारी रात तेरी याद में कटती चली गए मेरे राम
थक के चूर हो गया, इंतज़ार था कब सुबह आये !!

सोता देखा जहान मैने की सब बेखबर से सो रहे हैं
अपनी सुध बुध में न जाने क्या क्या वो खो रहे हैं
पल भर में नजर अगर तेरी बिगड़ गयी मेरे राम
यह दुआ कर रहा था कि कोई विपदा यहाँ पे न आये !!

मासूम मासूम से वो नन्हे से जीव जिस ने जन्म लिया अभी
वो नन्ही नन्ही सी चिडिया जिस ने घरोंदा बनाया अभी अभी
दुःख दर्द से सह कर घर की नईया को पार लगा रहे सब यहाँ
मेरी विनती है तुझ से की, की कभी यहाँ कोई कहर न आये !!

न जाने कितने सपने, कितने अरमान पाल रहा है हर कोई
तू ही तो जग का पालनहार, तेरे सिवा न हमारा है कोई
पहुंचा देना सब को सब की मंजिल पर मेरे भोले राम
"अजीत" ने भी नींद गवा दी.बस तेरा रहम ही अब नजर आये !!

अजीत तलवार
मेरठ

***Wo Kya Kahenge Hum Se ***

******Wo Kya Kahenge Hum Se *******

Wo Kya Kahenge Hum Se 
Yeh Kehne ka Hak gujar Gaya hai
Badi Ulfat mein Katati Hai Raat
Ab to Wo Wakat Bhi Gujar Gaya Hai !!

So Rahi Hai Saari Basti 
Tanhaee Aur Hum Jaag Rahe Hein
Reh Reh Kar Unke Khyaal Aa Rahe Hein
Khyaal Ka Gujarne Ka Wakat Aa Gaya Hai !!

Yeh Chahat Hi Na Murad Kuch Aisi Thi
Js ne Sote Sote Bhi Mujh Ko Jaga Diaa
Kabhi Khyaal mein Wo Aate Kabhi Jaate
In Lamhon Ke Jaane Ka Wakt Bhi Aa gaya Hai !!

Ajeet Talwar
Meerut

** तेरा यह कहना ..आस न रखना***

********* तेरा यह कहना ..आस न रखना********

तुझे दिल से चाहा, तुझे दिल से प्यार किया
तेरे दिल को अपना बना कर इतना प्यार किया
पर तेरे इक झूठ ने दिल हो हिला के रख दिया
आज तनहा हुए तो हम को इस बात का एहसास हुआ !!

कहने और करने में विश्वाश रखना आना जरूरी है
यह किस ने कहा तुम से की प्यार करना जरूरी है
आशा को निराशा में बदल कर अनजान बन गए हो
अब हम ने भी अपने दिल को समझाने का प्रयास किया !!

यह कह देना की जा रहे हैं हम को यूं याद न करना
पीछे पीछे मेरे तुम आने की हम से फ़रियाद न करना
तकदीर ही कुछ ऐसी थी न संभल सके हम उनके लिए
दिल भी हम से कहता है की अब डूबने की आस न करना !!

अजीत तलवार
मेरठ

***जरा मैखाने का रस्ता***

********जरा मैखाने का रस्ता**********

जरा मैखाने का रास्ता बता देना
यह प्यार में जलने और सताए 
हुए लोगो.को अपनी आगोश में
बेपनाह मोहोब्बत देती है.....

घुट घुट के जीने वाले को
जीने का सामान यह अपने
पास बैठा बैठा कर
भर भर के पीने को देती है .....

न भटके कहीं न किसी से
जाकर झगडा कर लें
इस लिए अपने दर से किसी
को कहीं जाने नहीं देती है.....

महबूब का गम जब भूला न सका
और उस को जाकर वो मना न सका
बेदर्द ज़माने के सताए हुए लोगो
को मरहम यह यहाँ लगा देती है !!!!!!

अजीत तलवार
मेरठ

*** तोड़ दिया घरोंदा तूने तुझे क्या मिला ***

******** तोड़ दिया घरोंदा तूने तुझे क्या मिला *******


तोड़ के घरोंदा उस जीव का
बेघर कर दिया ओ तूने 
इक पथर जरा उछाल दे अपने 
घर के शीशे पर ओ घरोंदा तोड़ने वाले !!

तू तो बनवा लेगा किसी और के हाथो से
धन को कमा लेगा फिर अपनी चालों से
उस का तो नहीं कोई भी बना के देने वाला
क्यूं उस को उजाड़ दिया पथर मारने वाले !!

वो कह नहीं सकता कि क्यूं उजड़ा दिया मुझको
मेरे परिवार ने क्या बिगाड़ा जो भगा दिया मुझको
मैंने तिनका तिनका इकठा कर के बनाया था
जरा एक बार तो सोचता मुझे बेघर करने वाले !!

रात का समां आ गया है, किस का ढूँढू में आसरा
मेरे मासूम से इन जीवों को शायद ही मिलेगा आसरा
बरसात का मौसम है, आंधी भी परेशां करेगी सबको
क्या कभी आंधी तूफ़ान में तूने घर बनाया है ओ मारने वाले ??

अजीत तलवार
मेरठ

****रेत पर कभी महल नहीं बनते****

*********रेत पर कभी महल नहीं बनते********

रेत पर कभी महल नहीं बनते
क्या फायदा बे वजह जताने का 
अरमानो को रोंद के जो चले जाते हैं
क्या फायदा किसी और का साथ निभाने वाले !!

दिल तोड़ के जाते हैं दिल लगाने वाले
बैठे हैं किसी और के साथ हम को बताने वाले
जब प्यार कर के निभाने का मादा नहीं था
तो क्यूं लगा के तडपाया ओ सताने वाले !!

जैसे आंधी के आने से रेत का कोई सार नहीं रहता
पल में यहाँ दुसरे पल में इकरार नहीं रहता
लगाना है तो लगा के निभाया कर ओ लगाने वाले
यूं आँखों में अश्रू की धार को बहाने वाले !!

अजीत तलवार
मेरठ

@@तुझ से वादा निभाने का @@

@@@@तुझ से वादा निभाने का @@@@

तुझ से वादा कर लूं., कसम खा कर
तो निभाने का हक़ दे खुदा मुझ को
तेरे हर वादे को सम्भाल कर रख लूं
बस ऐसा वो दिल खुदा दे मुझ को !!

क्या फायदा की वादा करूँ
और उस को में निभा न सकूं 
तेरे हर वादे को निभाने का भी
ऐसा हक़ खुदा दे मुझ को !!

दुनिया की सारी अदाओं को
तेरे सामने तो नहीं ला सकता
पर जिस को में पूरा कर सकूं
ऐसा वादा निभाने का हक़ खुदा दे मुझको !!

कह दूं की आसमां से तोड़ लाऊं
चाँद और तारे तेरे प्यार की खातिर
ऐसे कैसे झूठ के दूं,जिस को न ला सकूं
ऐसा झूठ कहने का हक़ न दे खुदा मुझको !!

अजीत तलवार
मेरठ

*****प्रेम में अंधे न बनो*****

************प्रेम में अंधे न बनो****************

प्रेम की भाषा को समझ कर प्रेम करो
प्रेम में डूब कर न इतना अँधा बनो
की प्रेम और वासना का अन्तर न रहे
फिर घर के अंदर भी आना इक समंदर लगे !!

प्रेम किया जैसे राधा रानी ने कान्हा से
तुम भी प्रेम करो जैसे किया था मीरा ने
भरत ने प्रेम की खातिर राम को मान दिया
लछमन ने भी सीता का था सम्मान किया !!

आज का प्रेम अँधा बनकर डस रहा है
जिस के पीछे लगन लगी उस को हर रहा है
क़त्ल करता जा रहा है अपने परिवार का
यह कैसा प्रेम है यारो इस जहान का !!

जरूरी नहीं कि जिस को तुम चाहो वो
तुमसे ही प्रेम करे और तुम्हारी बने
यह तो जन्मो जन्मो का मेल है
जिस के आगे "अजीत" दुनिया सारी फेल है !!

न अपने अरमानो को दबा के जीवन को गुजरो
प्रेम की भाषा को समझो और जीवन गुजरो
आदर सत्कार से घर परिवार का मान रख के
प्रेम को बस आगे बढाओ,और फिर प्रेम करो !!

अजीत तलवार
मेरठ

****में सोचने पर मजबूर हूँ ****

********में सोचने पर मजबूर हूँ ************

मैं सोचने पर मजबूर हूँ, 
कि जमाना कहाँ जा रहा है
घर घर में भाई भाई को अब खा रहा है
रूख सब का बदल रहा है
रिश्तों को न जाने कौन डस रहा है !!

कुछ शंका में गुजर गए
कुछ को लोगो ने उजाड़ दिया
माँ ने प्रेमी के संग मिलकर
अब अपनी बेटी का बलात्कार करवा दिया !!

कैसा यह जनून है
प्रेम ने कर दिया अँधेरा ही अँधेरा
बीवी को लेकर अपने घर पहुंचा शोहर
सुहागरात से पहले ही उजाड़ गया सुहाग है !!

खुद ही फांसी पर झूल रहे
नहीं बस चलता तो रेल से हैं कट रहे
इंसानियत को अब आ रही शरम है
बेटो ने तो अपना पैदा करने वाला मरवा दिया !!

कैसे चलेगी दुनिया, कैसे बनेगा देश महान
युवा तो योवन के देहलीज से पहुँच रहा शमशान
आजकल के बूढें दिख रहे हैं नोजवान
युवाओं ने तो अपने हाथ से खुद को कातिल बना दिया !!

अजीत तलवार
मेरठ

****राजनीति में आपका स्वागत है ****

**********राजनीति में आपका स्वागत है **************

झूठ, फरेब अगर आता है आपको
तो राजनीति में आपका स्वागत है
किसी का उल्लू बनाना आपको आता है
तो आपका बहुत बहुत स्वागत है !!

काम किसी का कर दिया तो भला अपना
न कर सके तो कह दिया यह है उसका
भरी सभा में तीर अपना अगर चलाना 
आता है तो स्वागत है यहाँ आपका !!

जितना झूठ बोलोगे, उतना ज्यादा फलोगे
काम करने की हामी भरना,चाहे न करना
बहती गंगा में अगर हाथ धोना आता है
तो बन्धु बेहद स्वागत है यहाँ आपका !!

राजनीति,,,जिस का नाम ही है ऐसी नीति
नेता बनो ऐसे की बाँटना न पड़े जहान में
जो भी रखना आता हो तुम को अपने मकान में
तो तुरंत चले आओ, यहाँ आपका स्वागत है !!

अजीत तलवार
मेरठ

*******सुखी हुई पत्तियन और तेरी याद********

*******सुखी हुई पत्तियन और तेरी याद********

ऐसे फूलों से प्यार नहीं करता कोई
जिस की महक गुजर जाती है 
मैं उन फूलों को समेट के रख लेता हूँ
जिस में से याद तेरी बहुत आत्ती है !!

पत्तियन ही तो सुखी है यादें नहीं सुखी
मुरझा ही तो गयी है पर असल नहीं छूटी
मैंने उनको दामन में समाया है पल पल
जिस में से महक बस तेरी आती है !!

समेट के रखा ऐसे की जैसे तू दिखती है
उन में से हंसती सी झलक मुझे दिखती है
उस ने भी मुझे पल पल यूं हंसाया है
मुझे खिलखिलाती से तू नजर आती है !!

अजीत तलवार
मेरठ

यूं रोता हुआ छोड़ के चला जाना है

यूं रोता हुआ छोड़ के चला जाना है
कफ़न में भी तूने बहुत याद आना है
रह रह कर रोयेगा दिल मेरा उसमे
उस दिन सब का दिल तोड़ के चले जाना है !!

उस चादर का रंग तब न जाने कैसा होगा
बाद बेव्बस तब मेरा यह बदन होगा
न तडपेगा, न झटकएगा, न कह सकेगा
तब ऊपर जाकर सारा किस्सा सुनाना है !!

ajeet Talwar
Meerut

Monday 21 April 2014

***********नहीं मतदान किया ***********

*************नहीं मतदान किया ******************

कशमकश भरी जिन्दगी में, लोक सभा का मतदान हो रहा
कोई किसी को, कोई दुसरे को यहाँ भाई , चोर कह रहा है 
अपनी बगल में बैठा रखा है, दुसरे दल का नेता मेरे यारो
फिर भी अपनी पार्टी के लोगो को साहूकार कह रहा !!

फेंक कर अपनी बातो के मोहरे, शतरंज का खेल खेल रहे
नेता जी अपने आप ही अपनी बातों से दुनिया को घेर रहे
कौन हिन्दू, कौन मुसलमान, यह भेद भाव को बढ़ा रहे
इलेक्शन के बाद, देखना इन सब में होगा मेल मिलाप, सब देख रहे !!

ऐसा लगता है रोजाना इनकी बातो से न जाने क्या कह देंगे
कुछ घर के भेदी ही, इनके बीच अपना अपना घर ढा देंगे
परसों को सब को गले मिलते देखेगी यह मतदान करती हुए जनता
फिर खुद अपने ही बुने जालों में यह, फिर सब को घेर देंगे !!

जिस की जहाँ आस्था थी, उस ने वहां जाकर मतदान किया
कुछ की आस्था थी, नोटा पर, उस ने वहां वो विशेष किया
हमने वो किया, जो नेता जी ने कहा था, मत ....दान. करो ??
तो हमने न जाकर, घर पे रहकर, कहना माना,,नहीं मतदान किया !!

अजीत तलवार
मेरठ

*********इक तरह का प्यार न करना कभी **********

*********इक तरह का प्यार न करना कभी **********

वो आएगी, पलक झपकती नहीं उस प्रेमी की
एक टकटकी सी लगा कर बैठा था वो इंतज़ार में
शायद इक तरफ़ा प्रेम कर बैठा था उस से
जो सामने से निकल गयी शायद उसकी नहीं थी वो !!

आंसूओं का सैलाब न रोक सका वो अपने आपका 
दिल से बाद कमजोर लगा वो खो गया ख्यालो में
अपनी खुद की उलझन में जाकर बना बैठा उस को अपना
शायद उसकी तक़दीर को हाँसिल नहीं थी वो !!

जान देने को उतारू हो गया, मिल गया मुझे वो वहां
मैने पल भर में समझाया की क्यूं उलझता है तू
प्यार इक तरफ का दुश्मन बन जाता अपने आपका का
छोड़ सबका साथ,अब अपने दिल को समझा ले तू वो !!

अजीत तलवार
मेरठ

*******प्यार करने वाले ..खुद तलबगार हो गए हैं *******

*********प्यार करने वाले ..खुद तलबगार हो गए हैं *******

रास्ते अलग थलग से हो गए हैं
प्यार करने वाले बड़े बेबस से हो गए हैं
खुद ही पहरा लगवा लेते हैं अपने पर
इसी लिए दुनिया , के गुनहगार हो गए हैं !!

छुप छुप के प्यार करते हैं हमेशां
किस पेड़ या किस आड़ का सहारा लेते हैं हमेशा
जिस की नजर न भी जानी हो उन पर
पड़ते ही नजर , सब के तलबगार हो गए हैं !!

हाथो में लिए हाथ चले जा रहे हैं
मुस्कराहट को बेकार छुपाते जा रहे हैं
क्या कभी छुपता है यह प्यार का आलम
वो खुद अपनी निगाह , में चोर बनते जा रहे हैं !!

अजीत तलवार
मेरठ

@@@@ FOR ONLY FAKE I.D.@@@@@@@

@@@@ FOR ONLY FAKE I.D.@@@@@@@

कुछ लोग अपने आपको,,लड़की का चेहरा लगा कर 
कुछ गलत अल्फाज और कुछ गलत अरमान लाकर
दोस्ती की तस्वीर को,, अपने गंदे लफ्जो से मिलाकर
रोजाना दोस्ती का हाथ बढ़ाने...........चले आते हैं..!!

क्यूं लड़की का सहारा लेकर बैसाखी की तरह आ रहे हो
अपने दिल को सामने आ आकर गन्दा सा बना रहे हो
दम रखो अपने आप, सामना karo मुझ से इन्सान का
में तो प्यार से....अपना कदम आपके लिए बढ़ा रहा हूँ !!

टांग टूट जाये तो सहारा लेना बनता है, मजबूरी है
कौन कितना सहारा देगा, बैसाखी का साथ जरूरी है
तुम अच्छे खासे नौजवान हो,..Fir क्यूं बन रहे शैतान हो
सही से साथ निभाना हो तो...मैं.तुम्हारे लिए दोस्ती को तैयार हूँ !!

अजीत तलवार
मेरठ

*********तुझे ख़ुशी..मुझे गम *********

*********तुझे ख़ुशी..मुझे गम *********

तुझे देख कर मैंने जीना सीख लिया
तू चला गया मैंने पीना भी सीख लिया
गम और ख़ुशी का संगम साथ लेकर
तू अकेला मझधार में मुझे छोड़ गया !!

बेवफ़ा से अच्छी बेवफाई है यार
साथ तो निभा रही है अपने साथ 
डूबते को जैसे सहारा नहीं मिलता
बस वहीँ तू मुझे डुबो गया मेरे यार !!

आँखों से में आंसू में बहने नहीं देता
डर है की दिल जार जार ना रोये
उठ गया सैलाब अगर इन अश्को का
खौफ है की तुझे डूबा के न ले जाये !!

मेरी हंसती हुई दुनिया को उजाड़ के
मेरे सारे अपमानो को यूं तू तोड़ के
हँसता हुआ चेहरा उदास सा मुझे छोड़ के
तू अकेला मेरे अरमान डुबो ,छोड़ गया !!

अजीत तलवार
मेरठ

********अकेले ही चले जाना है **********

********अकेले ही चले जाना है **********

इक सफ़ेद चादर ओढ़ के जाना है
उस खूबसूरत से चेहरे को उसमें छूपाना है
शमशान तक सब को यहाँ बस आना है
आगे की मंजिल को खुद हमने ही पाना है !!

दाग जितने भी हों उस चादर पर 
मिटाके जहान से चले जाना है
कहने वाले न जाने क्या क्या कह देंगे
हम को तो जीते जी.....साथ निभाना है !!

चेहरे को देख कर परिवार चूम देगा
सारे अरमानो को छोड़ वो अकेला चल देगा
साथी रह जायेंगे , कारवाँ बिछड़ जायेगा
खुदा का बुलावा कब आये....हंस के वो उठाना है !!

अच्छा था चला गया, मुझे तंग करता था
अच्छा हुआ, ..नाश हुआ इसका,.. न जाने
किस किस को हँसता, किस किस को रोता
छोड़ के हम को,.. तो इस जहाँ से चले जाना है !!

अजीत तलवार
मेरठ

********* मेरा मन है उदास**************

********* मेरा मन है उदास**************

पंजाबी और हिंदी का संगम..इस कविता में है...
अगर किसी को न समझ आये..तो मुझ से पूछ सकता है...

मेरा दिल है उदास , ओ तू आज सोहनेया
में करदी हाँ तेरा इन्तेजार तू आजा सोहनेया
मार के उडारी तू नेड़े मेरे अज आजा सोहनाया
में रज रज करा गी तेरा दीदार ओ मेरे सोहनेया !!

सारी सारी रात मैं रो रो के कटदी हाँ मेरे सोहनेया
गोदी विच सिर अपना छुपा छुपा के में रोंदी सोहनेया
नहीं मेरे दिल नू ओउन्दा कोई वि किसी तरहं दा करार
तदे ते में नहीं पल विच सो पांदी , ओ मेरे सोहनेया !!

किना किना चिर तू मेनू सतायेंगा,की इसी तरह रूलायेंगा
मेरा कलेजा धड्कड़ा है हर वेले की , तू इन्हा मेनू सतएँगा
मेरे रोम रोम च सजदा है हर वेले तेरियन यादान दा अम्बार
तू इक वार नेड़े मेरे , आजा, करले तू फेर में वि दीदार मेरे सोहनेया!!

अजीत तलवार
मेरठ

दिन भर घूमती हैं लाशे इस शेहर में

दिन भर घूमती हैं लाशे इस शेहर में
कुछ साँसों को अपने साथ लेकर
बड़ा बेबस है इन्सान का नजारा
अपनी ही लाश ढो रहा अपने कंधे पर !!

कुछ संभलता सा , कुछ गिरता सा 
कुछ डगमगा रहा मैखाने पर
संभालना तो चाहता है, पर 
नहीं संभलता है, मैखाने पर !!

अपनी कशमकश में उठा रहा है
सारी आशाओं का पिटारा कंधे पर
मर मिटता नजर आता है इक ख्वाब
की खातिर बस उस इक नजर पर !!

अजीत तलवार
मेरठ

**************समय का पौधा..समय के साथ *******

**************समय का पौधा..समय के साथ ************

इक नन्हा सा पौधा सींचता हूँ रोज में अपनी बगिया में
नन्हे नन्हे से उस पते को सहजता हूँ रोज मैं बगिया में
बनेगा वो इक पेड़ इक दिन.इस आशा के साथ जी रहा हूँ
जो मुझे सींचा मेरे माता पिता ने, बस वो ही बढ़ा रहा हूँ !!

समय का चक्कर देखा है,,कभी रुका नहीं रोकने से भी
कितने अरमान चाहे हों मन में, सब को हटा देता है वो
धराशाई कर देता है..हर मंजिल को अपने वकत के साथ
पुरानो को मिटटी में, और नए को जीवन दे देता है अपने साथ !!

कष्ट काट काट कर इंसान जीवन गुजार देता है वक्त के साथ
और वकत सब से बड़ा मरहम लगा देता है जख्मो पर अपने साथ
सकूं भी देता है, आशा भी देता है, मन को भा जाता है सब के साथ
भटके हुए इंसानों को भी,,इंसान बना देता है,,वो वकत के साथ !!

अजीत तलवार
मेरठ

में एक बात कहता हूँ.. क्या तुम उस को सुनोगे

में एक  बात कहता हूँ..
क्या तुम उस को सुनोगे
जो कुछ तुम्हारे लिए करे
उसी को तो तुम चुनोगे !!

चुन कर अपना साथी बनोगे
फिर उस का तुम भी साथ निभाओगे
यह सिलसिला तो चलता रहेगा 
उस से कुछ न कुछ तुम भी तो पाओगे !!

आशा रखोगे..तो निराशा भी पाओगे
फिर जाकर दुसरे को बतलाओगे
दूसरा भी तो तुम से कुछ पाने में
किसी दुसरे को भड़कवाओगे !!

कुछ ऐसी न किसी से आस रखो
अपने करने पर बस विश्वाश रखो
अपने दिमाग का इस्तेमाल करो
फिर शान से चाहे अपना जहाँ रखो !!

अजीत तलवार
मेरठ

********** किस बात का नशा **********

********** किस बात का नशा **********

नशे में चूर हो रहा है जमाना
न जाने कहाँ तक चला जायेगा
दौलत की आग में अँधा हो रहा है
पता नहीं कौन सी डगर पायेगा !!

भटक रहा है आज का नौजवान
कर रहा है.वो जो न करना चाहिए
मेहनत पर अपनी नहीं है भरोसा
ऐसे नहीं अपनी दुनिया उजाड़नी चाहिए !!

हाथ में बल रख, दिमाग को शांत रख
ऊपर वाले पर भरोसा इतना रख
तेरे अन्दर का इंसान तेरा गवाह बने
तू शैतान नहीं, अच्छा इक इंसान बन !!

बल का प्रयोग वहां कर जहाँ जरूरी है
गलत करना क्या यार तेरी मजबूरी है
मैने अच्छे अच्छे देखे हैं फनाह होते
बस आचे और बुरे में यही इक दूरी है !!

अजीत तलवार
मेरठ

कमल का फूल, कमला के आंगन में सजा

कमल का फूल, कमला के आंगन में सजा अच्छा लगता है
कमला के आँगन में, वो सजा हुआ गमला अच्छा लगता है
महका देती है सारे वातावरण को ,उस कमल के फूल की पतियाँ
सच है ...कमला के आंगन का माहोल...सब से अच्छा लगता है !!

इक सुख का एहसास करवा देती है, कमला का प्यार है उस में
न गर्मी, न बरसात , ना धूप और न गम का माहोल है उस में
सींच देती है, अपने हाथो से, उस सुख मय संसार को हर दिन
उस का यह अंदाज,....सब से ही अनोखा ......अब लगता है !!

अजीत तलवार
मेरठ

दुनिया में चाहने से कुछ नहीं होता

दुनिया में चाहने से कुछ नहीं होता
चाहते हो तो खुल कर इजहार कर दो
इक पंछी बैठा हुआ है डाल पर, उसे
उड़ा दो गगन में, या हाथो में संभाल लो !! 

परिंदे की तरह मन मस्त हो कर घूमना चाहता है
अपने पर को , हवा में फडफडाना, वो चाहता है
आजादी का दीवाना है वो मन का पंछी , कुछ भी
कहने से पहले, अपना चमन सजाना चाहता है !!

अजीत तलवार
मेर

खुशबू के लिए, गुलाब से बढ़कर कौन है ?

खुशबू के लिए, गुलाब से बढ़कर कौन है ?
मेरी नजर में आप से बढ़कर भला कौन है ?
सौंप दी जिन्दगी की डोर मैंने तुम्हारे हाथ
इस बात पर अब और कहने वाली बात, कौन है ??

चाहे जिस हाल में रखना, बस अपना बना के रखना
चाहने को दुनिया अब चाहे तुम को, यह जान के रखना
मेरे जीवन की हर सांस, मेरे हर जज्बात अब तुम्हारे हैं
भला अब कहो, मुझ से यह हक़ छिनने वाला, कौन है ??

तन सौंपा, मैने अपना मन सौंपा, मुझे सहारा मिल गया
मेरी भंवर में फंसी हुई कश्ती, को अब तुम्हारा सहारा मिल गया
जब तक न टूटेगी मेरी यह सांस, और मेरे दिल के मालिक
तक तक, इस डोर को तोडने वाला.बता, अब कौन है ??

अजीत तलवार
मेरठ

******* मुखिया जी,,,थोडा सही से बोला कीजेये !!**********

******* मुखिया जी,,,थोडा सही से बोला कीजेये !!**********

आज एक खबर पढ़ी मैने, जिस ने दिल पर सीधा वार किया
सोचा की आपने आज इंसानियत पर यह कैसा है वार किया
अपनी हस्ती से ज्यादा , दूसरे की हस्ती को चमका दिया
मुलायम जी, आपने यहाँ, आज हर इंसान को क्या आजम खान बना दिया ??

मुखिया हैं आप समाजवादी पार्टी से सम्बन्ध रखते हैं
जिस देश में आप रहते है, वहां इंसान ही तो बसते हैं
कहना कुछ भी हो, जो कहा और समझा आपने
यह देश है हिन्दुत्व का, इस की भाषा से न छेडछाड कीजिये !!

इस तरह से आपके बयान से क्या अराजकता नहीं फैलेगी ??
क्या हिन्दू और मुसलमान के दिल में जेहर नहीं घोलेगी ??
शांति का माहोल बना कर, कुछ अच्छे से बयान दिया करो !!
हिन्दू आप भी हैं, किसी और को यूं सर चढ़ा कर तूल न दिया करो !!

अजीत तलवार
मेरठ

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे, निर्धन के घर भी आ जाना
जो रूखा सूखा दिया हमें, तू उस का भोग लगा जाना..!!

तेरा दिया , रोज खा कर तेरा शुक्र गुजार कर लेते हैं
ओ पहाड़ों वाली महारानी, फिर क्यूं इतना दुःख सब सहते हैं !!

निर्धन की झोली तू भर देती, तू दुनिया में निराली है
तेरी शान , तेरी आन, सब इस कुछ भारत की तू रखवाली है !!

पथरीले पथ पर चल कर लोग, कभी आ जाते थे तेरे दरबार
आज तेरे भवन की शान , वो रस्ते सारे दुनिया में आली है !!

मेरे विनती तो बस यही है मेरी माँ, दे आशीर्वाद सब भगतो को
तेरी याद में जियें, तेरी याद में मरे, सच तू दुनिया भर में बलशाली है !!

अजीत तलवार
मेरठ