आज फिर में लिख रहा हूँ की
कुछ जिन्दगी में नया हो जाये
लगता है नए को ताकते ताकते
जिन्दगी न खत्म हो जाये !!
समय की लीला न समझ पाए
समय ने भी छोड़ दिए अपने साये
कोइ आये या न आये अब जिन्दगी में
बस तेरी इंतज़ार में शायद मौत ही आये !!
रुसवा कर दिया तेरे लिए जमाने को
इक शिकवा चला आया मेरे साथ साथ
तुझे भूलना भी चाहा एह मेरी जिन्दगी
तुझे ताकने में ही जीवन मेरा चला जाये !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ
कुछ जिन्दगी में नया हो जाये
लगता है नए को ताकते ताकते
जिन्दगी न खत्म हो जाये !!
समय की लीला न समझ पाए
समय ने भी छोड़ दिए अपने साये
कोइ आये या न आये अब जिन्दगी में
बस तेरी इंतज़ार में शायद मौत ही आये !!
रुसवा कर दिया तेरे लिए जमाने को
इक शिकवा चला आया मेरे साथ साथ
तुझे भूलना भी चाहा एह मेरी जिन्दगी
तुझे ताकने में ही जीवन मेरा चला जाये !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ