Monday 30 December 2013

जिन्दगी में कुछ नया

आज फिर में लिख रहा हूँ की
कुछ जिन्दगी में नया हो जाये
लगता है नए को ताकते ताकते
जिन्दगी न खत्म हो जाये !!

समय की लीला न समझ पाए
समय ने भी छोड़ दिए अपने साये
कोइ आये या न आये अब जिन्दगी में
बस तेरी इंतज़ार में शायद मौत ही आये !!

रुसवा कर दिया तेरे लिए जमाने को
इक शिकवा चला आया मेरे साथ साथ
तुझे भूलना भी चाहा  एह मेरी जिन्दगी
तुझे ताकने में ही जीवन मेरा चला जाये !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ






सच की कोई कीमत नहीं बाज़ार में

कीमत नहीं है आज दुनिया के बाजार में
उस बात की जो सच को बेचता है सरे बाजार में
मिल जाते हैं झूठ का साथ देने वाले अनगिनत
कुछ भी बेच जाते हैं भरे  पुरे बाज़ार में !!

ताकता रहता है वो किसी ऐसे ग्राहक को
जो आकर लगा दे कीमत उस के सामान की
शाम तक ऑंखें भी थक गयी न कोई मिला ऐसा
जी कीमत दे सके, सच बेचने वाले इंसान की !!

दुनिया में झूठ का बहुत बोलबाला है
एक अबला चली बेचने अपना सच का आला है
फरेबिओं ने साथ देने को सच कह दिया उस से
पर लूट कर खा लिया उसको रहा झूठ का बोलबाला है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ



नव वर्ष मंगलमय हो आप सब का ..मेरी कविता के माध्यम से

सभी को नव वर्ष मंगलमय हो..

फिर से गुजर जायेगा यह साल जिन्दगी का
जिस तरह गुजर चूका है हर साल जिन्दगी का
कल फिर से आ जायेगा नया साल जिन्दगी का
कुछ नया लिख जायेगा नया साल जिन्दगी का !!

बनेगी कुछ नई कहानिया, अनसुलझी बाते बनेगी
चर्चे रहेंगे देश और विदेश के, नई नई बातें बनेगी
घूमेगा ब्रह्माण्डमें बनकर कोई नया सितारा फिजा में
मेरे देश की निराली शान ,फिर से नया कुछ करेगी !!

किस की किस्मत में क्या लिखा है विधाता ने
यह तो नए साल की शुरुआत ही कुछ कहेगी
नया योवन बन कर उभरेगी , नई अंगडाई लेगी
भारत देश की नई नई तस्वीर, आपनी जुबान से कहेगी !!

इस नव वर्ष में जो भी कुछ हो रहा होगा मेरे दोस्तों
पुराने को यूं ही न हम को मिलकर भूलना होगा
बहुत सी घटनाओं को जन्म दिया है इन वर्षो ने
उनका किया हुआ अंजाम भी तो अब भुगतना होगा !!

सभी को नव वर्ष मंगलमय हो....

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Saturday 28 December 2013

जमाना खराब है

जमाना इतना बुरा हो जायेगा
जमाना इतना जलील कर देगा
किसी को भी बदनाम कर देगा
किसी का भी  उपहास उड़ा देगा


ज़माने में लोग खुद गरज हो रहे हे
दर्द अपने अंदर है मर्ज किसी का खोज रहे हे
अपनी खोदी हुई कब्र देख नहीं प् रहे हैं
दूसरे की चिता पर घी छिड़क रहे हे

किसी का घर बर्बाद कर रहे हैं
किसी का घर उजाड़ रहे हैं
अपनी तो परेशानियन कम नहीं हैं
उनकी दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं

मानसिकता उनकी भंग हो गयी है
आरोपों की बुनियाद पर वो खड़े हैं
जरूरत से ज्यादा परेशां खुद हैं
फिर भी चलन में कोई कमी नहीं है !!



Thursday 26 December 2013

यह रोजाना की खबरे

kash !
दुनिया में न होता दुश्मन कोई किसी का
तो यह समाचार वाले क्या करते
रोजाना आ आकर कहाँ से ला ला कर
समाचार के नए आयाम चलाते

कोई किसी की भैंस ले गया
कोई दूधिये को लूट ले गया
किसी ने कर दिया अपने
पिता का कत्ल जमीं के लिए
कोई किसी की बीवी भगा ले गया
किसी ने पार्टी नई बना ली
किसी ने किसी की कार चुरा ली
किसी ने दल बदल दिया
किसी ने घर से बेदखल कर दिया
कोई होटल में आराम कर रहा
किसी का कुत्ता मुर्गे को खा गया
किसी की दूसरी शादी हो गयी
कोई तो बेचारा कुंवारा मर गया
किसी की फिल्म कई करोड़ कमा गयी
किसी की बॉक्स ऑफिस पर मर गयी
किसी की गाड़ी पुल से नीचे गिर गयी
तो किसी की नहर में जा घुसी

रोजाना की यह खबरे सुन सुन कर
दिमाग की खराब कर जाती हैं
मेरी समझ नहीं आता लोगो
इनको पढ़ सुनकर पता नहीं
लोगो को फिर भी समझ क्यों
नहीं आती है ???????

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

मेरी बेटी ...

आज नारी की दुश्मन ही नारी है...
तभी तो लगता है जैसे कन्या पैदा होना उन पर भारी है..
.लाज अगर अपने हाथ में है..
.तो क्यों नहीं करती कन्या के भ्रूण की रखवारी हैं...
अबला रोने को खुद मजबूर है...
इसी लिए उसे करते सब चकनाचूर है...
अगर बुलंद करे वो कन्या के लिए आवाज, 
देखते हैं कौन सी ममता के दिल पर वो भारी है....
आज तक यही देखा है...
वो शायद समझती अपनी लाचारी है....
बाप का दिल मेरा भी है...
और बेटी का बाप भी हूँ, 
तभी तो मेरी बेटी जग में सब से ज्यादा 
प्यारी और राज दुलारी है..........

अजीत कुमार तलवार
मेरठ


अकड किस बात की प्यारे

प्रिये दोस्त,
आज इंसानियत के ऊपर एक छोटा सा निवेदन किया है
सोचता हूँ की इंसान क्या है, कुछ भी नहीं
फिर भी धरती पर अकड़ इतनी दिखाता है,
पता नहीं क्यूं ??
जब धरती इतनी विशाल है उसको अपने ऊपर घमण्ड नहीं है
तब यह नर क्या चीज है, किस बात का उसको गुमान है !!

क्या भगवा पहन कर तिलक लगा कर
कोई बन जाता है ""हिन्दू"" !!

क्या पगड़ी पहनने दाढ़ी रखने से
कोंई बन जाता है ""सरदार"" !!

क्या दाढ़ी रख मूँछ कटा कर
कोंई बन जाता है ""मुसलमान"" !!

क्या कोट पेण्ट टाई लगा कर
कोई बन जाता है "" क्रिशचिन"" !!

यह तो इक पहनावा है मेरे यार !
सब छोड़ यहाँ जाना है मेरे यार !!
गर कर न सके सेवा मानवता की !
क्या करना है इन सब का मेरे यार !!

दुनिया में आये हैं तो कर्म अच्छे करो मेरे यार !
न किसी को तंग करो यहाँ पर मेरे यार !!
खुशिओं से दामन भर दो किसी का मेरे यार !
तभी बाँटने से तुम को भी मिलेगा प्यार मेरे यार !!

पहरावा तो दुनिया में न रहा किसी का मेरे यार !
उतर कर जाना है यहाँ कफ़न भी मेरे यार !!
जैसे गर्भ में माँ से जन्म लिया था मेरे यार !
बस वैसे ही संसार छोड़ चले जाना है मेरे यार !!

अजीत ""करूणाकर""
मेरठ

फिर से शपथ

फिर से शपथ

में गीता पर हाथ रख कर
आज खा रहा हूँ कसम
की में कभी भी संविधान
की अवहेलना नहीं करूंगा
और भारत देश के प्रति
अपनी आस्था रखूंगा
चाहे मुझे कितना ही कष्ट
क्यों न हों, में अपने पद
की गरिमा को कलंकित
नहीं करूंगा  !! वगेरा वगेरा

फिर भी कसम खाने के
बाद न जाने कितने
ही उच्च पद के लोग
निभा न सके अपने पद
की गरिमा को, न ही
संविधान के प्रति अपनी
आस्था को, चले थे घर से
चन्द सिक्को को लेकर,.
पर आज न जाने कहाँ से
भर गए उनके घरो के थैले
न निभा सके वो कसमे और
न निभा सके वो वादे,
बस अपना घर भर कर
काम यह ऐसा किया, की
अपने परिवार के लिए
जन्मो जन्मो तक का धन
इकठा किया,

क्यों खाते हो झूटी कसमे
क्यों करते हो वफादारी का ढोंग
क्यों बहकाते हो लोगो को
क्यों खेलते तो भावनाओ से

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Tuesday 24 December 2013

जन्नत है ये आकाश

जन्नत है यह आकाश
जन्नत है खुदा कि रहमत
बाकि सब शमशान !!

हसरतों को पूरा करती
यह पानी और हवा
उस के नूर कोई कौन समझा
नहीं पैदा हुआ कोई दूजा , खुदा !!

जानते हैं हम सब
फिर भी अनजान हैं
लोगो कि जुबान तो हैं
लेकिन फिर भी अनजान हैं !!

मेहनत करना शान के खिलाफ है
छीन कर लेना जैसे अधिकार है
धरती नै पैदा किया कितना कुछ
फिर भी लेने वाला परेशान हैं !!

आओ मिलकर यह काम करें
न कभी किसी को परेशां करें
जीवन में जीना सब का अधिकार है
फिर देखो स्वर्ग सा लगता संसार है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ
www.ajitkavita.blogspot.com

जन्नत है यह धरती
जन्नत है यह आकाश
जन्नत है खुदा कि रहमत
बाकि सब शमशान !!

हसरतों को पूरा करती
यह पानी और हवा
उस के नूर कोई कौन  समझा
नहीं पैदा हुआ  कोई दूजा , खुदा !!

जानते हैं हम सब
फिर भी अनजान हैं
लोगो कि जुबान तो हैं
लेकिन  फिर भी अनजान हैं  !!

मेहनत करना शान के खिलाफ है
छीन  कर लेना जैसे अधिकार है
धरती नै पैदा किया कितना कुछ
फिर भी लेने वाला परेशान हैं  !!

आओ मिलकर यह काम करें
न कभी किसी को परेशां करें
जीवन में जीना सब का अधिकार है
फिर देखो स्वर्ग सा लगता संसार है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ
www.ajitkavita.blogspot.com

Monday 23 December 2013

कसम खा ले तून इंसान

#######  कसम खा ले तून इंसान  #########

                कसम खा ले तून इंसान
                नहीं बनेगा कभी हैवान

                चाहे कितनी विपदा आये
                 नहीं डोलेगा तेरा ईमान

                दुनिया तुझ सी ही तो है
                जैसा तून वैसा उस का रूप

               क्या फर्क है तुझ में और उस में
               वही माट्टी और वो ही है खून

              बस अपना तून दिल साफ़ रख
              यही तेरा करेगा जीवन सफल

               अच्छा करके अच्छा ही पायेगा
            बुरा किया तो वो तेरे सामने आएगा

               इस जन्म न फल पा सका भूल से
              तो भुगतने फिर दोबारा जरूर आएगा


अजीत कुमार तलवार
मेरठ


साफ़ दिल

&&&&&*** साफ़ दिल ***&&&&&


सत्य वचन कहने में तेरा 
जाता क्या हे बन्दे
जब तून झूठ कहना ही चाहता
है तो क्या मोल लगता है तेरा
किसी को सच कहने में !!

न तेरी पूँजी कम होगी
न तेरी शक्ति घटेगी
न कोई मोल भाव होगा
न कोई इस को तोलेगा
सच कहने से बस तेरा
अपना भ्रम ही मिटेगा !!

साफ़ दिल तेरा रहेगा
न कोई इस में मैल होगी
न कोई इस की साफ़ सफाई
न कोई गलत फ़हमी रहेगी
सच् कहने से बस तेरा
जीवन सफल ही तो होगा !!

जीवन शुद्ध कर अपना प्राणी
अंत काल पछतायेगा, जब तून
कहेगा लोगो को सच बार बार
तो सच कहना तुझे आ जायेगा
सच कहने में बस तेरा क्या
तेरा दिल भी साफ़ हो जायेगा

अजीत कुमार तलवार
मेरठ


विद्या धन नहीं चुरा सकते

चुरा सकते हैं , चोर बस आकर तेरा खजाना
लूट सकते हैं दुनिया वाले तेरा बना फ़साना
मार सकता हैं कोई किसी बेरहम को कभी भी
चलता आ रहा है लोगो यह चलन पुराना !!

हिम्मत रखो और सदा वो काम करो जिस से
हमेशा याद करता , रहे तुम को यह जमाना
लूटने को तो सिकंदर भी लूट चूका है लोगो के
खजानों को सब को बदहाल कर के यह जमाना !!

न ले जा सका वो धन अपने साथ बांध कर
अपने कफ़न की जेबों में शमशान की राख तक
इस से यह जान लो हराम का धन कमाना आसान
है, पर अंत समय उसको बस भोगे गा यह जमाना !!

विद्या का धन वो धन है, जिस की कोई बैंक लिमिट नहीं
जिस की न कर सका आज तक यहाँ ऍफ़ डी भी कोई
न लूट सका इस को आज तक कोई पोरस या सिकंदर
कुछ और छोड़ के जाना या न जाना, इसे(विद्या) जरूर छोड़ जाना !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ



तेरा दरबार सब से निराला है

तेरी आगोश में मैं सर रख कर
भूल जाता हूँ गम सारे जहान के
एक तेरा दरबार ही तो है दुनिया
में निराला ,जहाँ आकर बड़े से 
बड़े लोग सर झुकाते हैं !!

एहंकार क्या चीज है दुनिया में
निराले ही यहाँ आकर समझ
पाते हैं इस पथ की बेला को
वरना तो सारा जहाँ पता नहीं
खोया है किस घमंड करने
जैसे झमेलों को !!

अगर मेरे राम तून न होता
तो दुनिया लूट कर खा चुकी
होती एक दूसरे को,बस तेरी
मूरत के सामने आकर बड़े
से बड़ा माफ़ करने की गुजारिश
करता है अपने किये पापों पर !!

तेरा दरबार है इतना खूबसूरत
की न होगा किसी का बना हुआ
महल इस दुनिया में
लोगो के खाली हो जायेंगे सारे
खजाने, पर तेरी रहमान रोज
बरसती हैं उन सब के खजाने में !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Saturday 21 December 2013

उम्र का पड़ाव अच्छा लगता है



*********उम्र का पड़ाव अच्छा लगता है *******

उम्र के साथ साथ सब कुछ अच्छा लगता है
बचपन में बच्चे का नटखट रहना अच्छा लगता है !!

जवानी दीवानी होती है, घूमना फिरना अच्छा लगता है
मौज में रहें हर बार यह भी सोचना अच्छा लगता है!!

उम्र का एक पड़ाव वो भी आता है, वो भी अच्छा लगता है
जब शादी हो और बहु मिले दिल सुहाना लगता है !!

जब जिन्दगी में जिमेवारियन सताने लगती हैं रोजाना
तो वो अंदाज क्यों नहीं सब को अच्छा लगता है ??

सर के बाल निकल निकल कर गंजे पन में आ जाये हैं
सर हो जाता है गंजा, क्यों नहीं अच्छा लगता है ??

कुछ लोग देखे हैं ऐसे भी उम्र है ६० के पार उनकी
पर बाल रहे सदा काले, यह उनको अच्छा लगता है !!

झुरियन पड़ गयी हैं चेहरे पर सूरत बिगड़ रही है
फिर भी जवानी को याद करना , क्या अच्छा लगता है ??

ऊपर वाले ने किया है सब काम उम्र के साथ साथ
अंत में बस नाम हो जुबान पर उस का , यही अच्छा लगता है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

अपना दामन बचा के रखना

*******अपना दामन बचा के रखना *******

सरे राह चलते चलते , अपनी हस्ती बचा के रखना
यह शेहर है बड़ा जालिम है ,अपना दामन बचा के रखना !!

दाग लगाने में यहाँ देर, पल भर नहीं कि जाती
चलते चलते वल्लाह अपने को यहाँ बचा के चलना !!

खरीदने तो जा रहे हो खुशियन अपने जीवन के लिए
किस कि बुरी नजर पड़ जाये, अपनी नजर बचा के रखना !!

किस्से रोजाना सुनते आ रहे हो जालिम इस दुनिया के
"अजीत" का कहना है, कि बस अपना दामन संभाल के रखना !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ


में चला जाऊँगा

में चला जाऊँगा , सब को पता है
मरने से पहले, कुछ कर जाऊँगा
यह शायद मुझ को भी पता है
किस स्थान पर जगह मिलेगी वह
नरक होगा या स्वर्ग , नहीं पता
बस जाने से पहले, कुछ ऐसा हो जाये
जीते जी अपने स्वर्ग देख कर जाऊ
यह शायद मेरे रब को ही पता है
दुनिया का नाम आना , जाना है
कौन किस के काम यहाँ आना है
कुदरत तून मुझ को बस बल इतना
दे देना, बस तेरे पास आने से पहले
स्वर्ग इस धरा अपर बसाना है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

मेरा गुनाह रोज माफ़ करता है तून

में रोजाना गुनाह करता हूँ..यह तुझे मालूम है (भगवान् को )
तून रोजाना मुझे माफ़ कर देता है..यह मुझे मालूम है (इंसान)

मुझ को आदत सी पड़ गयी है गुनाहों को करने कि
और दाता तुझे आदत सी पड़ गयी है रहमत करने कि

यह सिल्सिल्ला यूं ही न चलता रहे
वरना हिसाब किताब लम्बा हो जाएगा
बस ऐसी मेहर कर दे मेरे मालिक एक बार
इस जीवन के जंजाल से, मुक्ति मिल जाये

बस रहूँ तेरे चरणों में , और नाम तेरा जपा करूँ
रोजाना के होने वाले, इन गुनाहों से तो बचा करूँ
सुन ले पुकार और लगा ले अपने चौखट पर एक बार
मेरी आत्मा पर हो रहे यह बोझ को ,मिटा दे एक बार !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

नेता गिरी

++++++++++नेता गिरी +++++++++++


आने वाला है फिर से नया दौर टिकेट वितरण का
मारा मारी शुरू होने को है नेताओं में इस बात की
तुझ से ज्यादा बलशाली और धन शाली में हूँ भाई
तुन क्या तेरा बजूद क्या,तून यहाँ किस काम का !!

देखना यह टिकेट मुझे ही है मिलने वाला इस बार का
भरोसा रखा है मुझ पर में हूँ प्यारा आला कमान का
जीत के दिखा दूंगा इस सीट को में फिर से दोबारा
पहले भी मुझे ही सांसद बनाया भरोसा है जहाँ का !!

यह नेता गिरी भईया चलती है धन और बल के साथ
अगर पाकेट में है रुपईया तो बल भी मेरे ही है साथ
जहाँ तक भी यह नजर उठा दूंगा लोग वोट डाल देंगे
बस डर नहीं मुझे क्या होगा कल,वो सब संभल लेंगे !!

आला कमान को खुश रखना कुछ मजाक नहीं है
वो अगर मान गए तो फिर कुछ नुक्सान नहीं है
गलतिओं से आदमी सिख कर ही कुछ पाता है
नेता गिरी आजकल करने में भाई नुक्सान नहीं है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Thursday 19 December 2013

भारत की नई सत्ता

"""""""" भारत कि नई सत्ता """""""""

लों सत्ता के शबाब  का   नया मौसम आ गया
कहते थे बाहर से अब चखने का समां आ गया

न जाने कितना दर्द सहा था लोगों ने आम के लिए
केजरीवाल को सिरमौर बनाने का समां आ गया

तुम क्या थे, क्या क्या किया था कल तक तुमने
सारी छान बीन करने का अब मेरा मौसम आ गया

बड़ा सताया था आम आदमी को तुमने चुनाव से पहले
अब मेरी सरकार बन्नने का समां नजदीक आ गया

आम आदमी  की पार्टी को आम समझना हुआ मुश्किल
अब आम मेरे और तुम्हारा गुठली खाने का मौसम आ गया

पब्लिक का समर्थ, और उन का साथ निभाने का और
सत्ता से गुंडा गर्दी भागने का मौसम आ गया

अपने कर्मो का हिसाब तो सब को देना ही पड़ेगा अब
कितना दम है मुझमे , यह दिखने का मौसम आ गया

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Wednesday 18 December 2013

वाह री वाह "थूक"

बहुत दिन पहले हमारे अटल बिहारी वाजपई साहब ने कहा था, कि भारतीय लोग किसी भी जगह पर "थूक" देते हैं.. उन्होने बिलकुल सही कहा था...और उनकी इसी "थूक" पर में यह कविता लिख रहा हूँ.

****************************""थूक""****************************

न जाने तू कहाँ से चली आती है
आते आते मुख को गन्दा कर जाती है
रोकने से भी न रूकती है तून
बस हो या कार पिक से निकल जाती है !!

कोई घर से साफ़ सुथरा निकल के आया
तून उस पर बे खौफ भाग पड जाती है
क्या तुझ को नहीं लगता ऐसा कर के
तून लोगो को लोगो से ही लडवाती है!!

क्या बिगाड़ा है तेरा दीवारों ने तून झट
पट उन के रंग खराब कर जाती है
इस महंगाई के दौर में तुझे पता है
कई साल में रंग रौगन कि जाती है !!

दफ्तर हो या सडक तुझे न आती लज्जा है
बस तुझ को अपना अपना दिखाई देता है
किस पर क्या गुजरती है,यह वो जाने
तुझे अपनी करनी पर नहीं आती लज्जा है !!

अब तो तेरा स्टायल बदल गया है,
तूं आती सुन्दरता को साथ लेकर
पान हो या गुटखा तेरे नए नए बने है
यह यार जिन को आती साथ लेकर !!

तुझ को भाते हैं यह सब, क्यों कि तून फ्री है
तेरा न होता कोई खर्चा ,क्यों कि तून फ्री हे
"अजीत" ड्राइक्लीन के पैसा इतनी महंगे हैं
एक "थूक"का दाग मिटने में जिदगी गुजर जाती है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ




Tuesday 17 December 2013

किस्मत कब दे दे धोखा

तेरी हस्ती ही क्या है,
और क्या है तेरा वजूद
दिन निकलेगा तो घर से
बाहर निकले गा जरूर !!

अपने पथ पर राही तुझ
को जाना तो रोजाना है जरूर
फिर काहे का करता घमंड
हो जाएगा यह चकनाचूर !!

पल भर कि खबर नहीं,
किस करवट जा बैठे गा ऊंट
अपने सांसो कि माला का
कर पगले धयन यह न जाना भूल !!

राह में अगर मिल जाये कोई
जो करे तुझ से कुछ फ़रियाद
मदद तो करना उस कि जरूर
पर पहले करना अपने रब को याद !!

न जाने किस भेष में कोई
आकर करदे तुझ पर अत्याचार
यह जीवन कलियुग भरा है भईया
अब लोगो में नहीं रहा है प्यार !!

किस्मत का क्या हे, न हो जाये
राह चलते कभी कोई धोखा
"अजीत" समझा तो सभी को अपना है
पर पता नहीं कब कोई दे दे धोखा !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

मेरे श्याम मुरली वाले

जब से मिली ये नजर तुझ से ओ मेरे श्याम प्यारे
मेरे पास जो नैना हो वो भी तो अब न रहे हमारे !!

तेरी मुरली कि धून सुन कर दिल को आराम आये
बैचेन हो जाता है मन मेरे तो तून नजर न आये !!

एक बार बुला ले अपने दर मुझ को भी मेरे श्याम
मरने से पहले तून मिले तो दिल को मिले आराम !!

यह दुनिया नहीं है मेरे काम की औ मेरे मुरली वाले
एक बार दरवाजा तो खोल औ मेरे शाम राधा वाले !!

बाद भाग शाली हैं जिस ने तेरे दर को चूम लिया
चूमने के बाद फिर न किसी का नाम उसने लिया !!

में "अजीत" जानता हूँ मिलेगा मुझे चैन एक दिन
उस दिन कि तलाश में में रहूँगा जरूर उस दिन !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

लाज शर्म को छोड़.

********यह दुनिया ********


दुनिया में अगर पोपुलर होना है
तो शर्म लिहाज को छोड़ दो
आप प्रसिद्धी अगर पानी हैं तो
सच है शर्म लिहाज को मोड़ दो !!

आज हर तरफ भीड़ लगी है
बेशर्मी कि, कोई न रखता लिहाज
आते थे पहले भी इंसान यहाँ पर
पर आज चढ़ा इंसान जा जहाज !!

खुद को आगे निकलने कि खातिर
उलझ रहा जंजालो में
आवश्यकता न भी हो चाहे उसे
पर डूब रहा विलासिता के झमेलों में !!

दुनिया तो रंग बिरंगी हे
इस का हर रंग निराला है
कर्ज लेकर आज महल बना रहा
न जाने कल कौन इस का रखवाला है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

प्रेम मित्रता का ...कमलजीत बहन का

@@@@@@@@KAMAL JEET KAUR@@@@@@@
***********कमल जीत कौर *************

आपको समर्पित मेरी यह छोटी सी रचना, क्या कहना है आपको ??

मेरी मित्रता सूची में शामिल
एक दोस्त ज्यादा बहिन है
नाम उनका कितना सुंदर सुंदर
कमलजीत कौर उनका नाम है !!

राधे कृष्णा कि वो भगत हैं
कान्हा जी लिया उन्होने परामर्श है
जब कन्ह्यैया तुम मखन चुरा सकते हो
तो क्या में पोस्ट नहीं चुरा सकती !!

उनकी चोरी कि आदत मुझ को भा गयी
मैंने भी उनको इस कि छूट छूट दे दी
आप चोरी तो क्या करती हो बहना
शेयर कर कर के पब्लिसिटी दे देती हो बहना !!

आप जैसा शायद कोई नहीं है ऍफ़ बी पर
आप भी किसी से कम नहीं ऑफ़ ऍफ़ बी पर
आपने न जाने कितनो को राधे राधे करवा दिया
मुख से और कुछ न निकले राधे कहना सिखा दिया !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Sunday 15 December 2013

सच कहना अच्छा लगता है

कहना मुझे अच्छा लगता है
क्योंकि में सच के देता हूँ,
झूठ बोलने से पहले मेरी
जुबान लडखडा जाती है !!

अगर झूठ तुमको पसंद है
यह तुम्हारी आदत में है
मुझे क्यों अपनी इस आगोश
में शामिल करवाती हो !!

एक पल के सच को सच
न मान सकी हो तुम
तो क्या फायदा में झूठ
कि दलीले सुनाता रहू रात भर !!

जो पल गुजर रहा है जान लेना
यह सच को दिखा रहा है
आने वाला कल तो झूठ कि
बुनियाद बना रहा है !!

एक करवट बदलूँ पता नहीं न बदल सकूं
तुम झूठ में मेरा दिल न बहलाओ
समय गुजरते देखा है मैने
कल क्या समय हो,यह न देख सकूं गा में !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Saturday 14 December 2013

दहेज़ ...तेरा न कोई अंत

*********दहेज़ ************

यूं ही चलता आ रहा है, सिसिल्ला दहेज़ दानव का
न मिटा है, न कभी मिटेगा , यह जेहर दहेज़ का
न जाने कितनी जिन्दगी दफ़न कर दी इस दहेज़ ने
हर घर में लेने को आग लगी , इस दहेज़ की भेंट की !!

शादी में अगर दहेज़ न मिला , तो दुल्हे कि नाक कट जाएगी
घर जब वापिस बारात लोटे गी, तो शर्म उसे बहुत आएगी
गली मोहल्ले वाले ताने मार कर वैसे ही मार देंगे
तब तो पक्की शामत, उस गरीब बेचारी दुल्हन कि आयेगी !!

गर नहीं है दम अपने बल पर, तो क्यों शादी रचाते हो
जिस कि बेटी को लाते हो, उसी पर दोबारा रोब जमाते हो
सपने देखते हो आसमान में उडने के, तो भ्रम क्यों लाते हो
खुद आगे बढ़कर क्यों कहते, शादी बिन दहेज़ नहीं करवाते हो !!

आज तो अपनी संगिनी को दहेज़ कि आग में क्यों सुलगाते हो
धन दौलत, कार , जेवर लेकर क्यों नहीं बढती भूख मिटाते हो
दहेज़ को लेकर, लालच में फिर दुल्हन को आग लगते हो
क्या यह सब कर के, सच में तुम जीवन भर बच जाते हो !!

"अजीत" देखा है मैने कोई नहीं रोक पाया इस आग को
अख़बारों में रोजाना पढ़ा मरने वाली दुल्हन बेमौत को
जीवन भर पाली थी अरमानो कि खुशियन उस दुल्हन ने
बस "कंकाल" बनकर वापिस लौटी , अपने पीहर को !!

"नारी" तेरे जीवन में क्यों इतने कांटे भर दिए हैं राम ने
क्या कोई नहीं ऐसा जो खुशहाली भर दे तेरे अरमान में
में दुनिया बनने वाले से फिर यह पूछता हो , कि क्यों
क्या इसी लिए, दुल्हन के रूप में पैदा किया इस जात को !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ


Friday 13 December 2013

मेरी आत्मा

लाख तूफ़ान आयेंगे, तो आ जाने दो
में वो आत्मा हूँ, जो रोके से नहीं रूकती
घरोंदा तो मेरा परलोक में है, मेरे लिए
किस काम कि है, यह सारी दुनिया !!

जब आया था यहाँ, तो बहुत रोया था
आज जब जाऊँगा, तो सब को रुला जाऊँगा
किराये का मकान था, मालिक ने खाली करा दिया
सब साथ अपने कर्मो का पिटारा ले जाऊँगा !!

जितना भी कटा यह जीवन उस की मैहर से
रफ्ता रफ्ता अब आगे बढ़ता चला जाऊँगा
रोकने और रूकने का वक्त खत्म हो गया है
साथ सरे संसार कि यादे साथ ले जाऊँगा !!

दुनिया एक खिलोने से कम नहीं है यहाँ
चाबी के साथ ही साँसे थम जायेंगी
रुसवा नहीं करने को दिल कहता है
बस खुदा का बुलावा है "अजीत"में चला जाऊँगा !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

में कवि की दुनिया का सार क्या जानू

कभी कोई मुझे यह समझता है
और वो पूछता है, कि क्या आप "कवि " हैं
में पूछता हूँ , क्या कवि कहीं से बनकर
इस धरती पर उतरता है ?

जो आपने पढ़ा , और वो ही मैने पढ़ा
हो सकता है, मुझ से ज्यादा आपने "पढ़ा"
में तो चाँद शब्दों को पिरो देता हूँ
इसी लिए आपकी नजरों में "कवि" दिखाई देता हूँ !!

न मेरी कोई जात है, न कोई पात है
माँ सरस्वती का दिया वरदान हैं
जिस को बाँट कर , हर इंसान को मैं
यही सन्देश जाकर देता हूँ !!

इन्सान् का जीवन एक बार मिलता है
न जाने कितनी योनिओं को भुगतने के बाद
अगली कौन सी होगी, कहाँ पर होगी
यह तो बस जानता हैं, मेरा आपका भगवान् !!

जीवन में अपने पारदर्शिता को अपना कर रखो
जैसे रोजाना दर्पण में अपना बिम्ब दीखता है
दाग न आने दो अपने इस जीवन में
अपने कर्म, पर ही बस भरोसा दीखता है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

दिल साफ़ होणा चाहिदा

**********दिल साफ़ होना चाहिदा ***********


मुझे आकाश में उड़ना नहीं है
में कोई परिंदा तो हूँ , नहीं
बस एक इंसान हूँ जो यह जानता हूँ
कि दुनिया मुँह देख कर बात करती है !!

दिल अगर साफ़ नहीं, तो क्या फायदा
दिल में अगर मैल है , तो भी क्या फायदा
दिल को दिल से मिला कर देखो
कैसे बनता है जिन्दगी का रास्ता !!

में दोस्ती उन से करता हूँ , जो अपने
दिल को साफ़ रख कर बात करते हैं
क्या फायदा यारो हाथ मिलाने का
अगर वो दिल में मैल, रखते हैं !!

खूबसूरत हो अगर तो मुझे क्या करना
ख़ूबसूरती तो दिल से हुआ करती है
देने वाले चेहरे से नहीं, बस वो अपने
दिल से ही किसी के लिए दुआ करती है !!

"अजीत" ने दुनिया में, ऐसे ही लोग देखे हैं
तो बात करते हैं मुझ से, दिल कहीं और रखते हैं
बड़ा अजीब सा लगता है, यह ज़माने का दस्तूर
बस् यह सोच कर दिल को एक ठेस पहुँचती है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ


जीवन पथ पर सब का अधिकार

जब एक लड़की घर से निकलती है
तो सच है वो सिहर जाती है
भूखे भेडिए उसे नोचने को आतुर हे
पल भर में हवस उठ जाती है !!

क्या लड़की पर यह नजर अच्छी है
घर जाकर देखो वहां भी तुम्हारी बच्ची है
कल वो भी बड़ी होकर घर से जाएगी
वहां यह सब हो, तो क्या यह बात अच्छी है !!

नजर को उठा कर यह इल्जाम न लों
गिरती हुई जिदगी का जीवन संवार दो
आज अगर हम न हो सके किसी के
तो फिर मेरे दोस्तों यह दाग अपने साथ न लों !!

जीवन पथ पर चलना सब का अधिकार है
गलत न करना यह जी का जंजाल है
खुली हवा में सांस लेने दो सबको
यह भगवान् का दिया हुआ , संसार है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ


Wednesday 11 December 2013

जन्नत है यह धरती और आकाश

जन्नत है यह धरती
जन्नत है यह आकाश
जन्नत है खुदा कि रहमत
बाकि सब शमशान !!

हसरतों को पूरा करती
यह पानी और हवा
उस के नूर कोई कौन समझा
नहीं पैदा हुआ कोई दूजा , खुदा !!

जानते हैं हम सब
फिर भी अनजान हैं
लोगो कि जुबान तो हैं
लेकिन फिर भी अनजान हैं !!

मेहनत करना शान के खिलाफ है
छीन कर लेना जैसे अधिकार है
धरती नै पैदा किया कितना कुछ
फिर भी लेने वाला परेशान हैं !!

आओ मिलकर यह काम करें
न कभी किसी को परेशां करें
जीवन में जीना सब का अधिकार है
फिर देखो स्वर्ग सा लगता संसार है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

एक बुझ दिली का उठा कदम ...ख़ुदकुशी

सुसाइड बुझदिली के सिवा कुछ नहीं है, 
जिन्दा दिली तो जीवन जीने में है,
मरना आसान इतना है,
जैसे पानी में एक पथेर डाल देना,
भगवान् का यह दिया रूप है, 
यूं न गवा डालो, 
तुम तो जान छुड़ा लोगे,
क्या हाल होगा परिवार का 
मरने से पहले जरा इस पर भी नजर डालो,

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Tuesday 10 December 2013

प्यार में गलतफ़हमी..

अपने मन में कितनी गलतफ़हमी पाल लेते हैं कुछ लोग
वो प्यार नहीं करती, पर वो सारी उम्र गुजार लेते हैं लोग !!

तनहाई में बैठ बैठ कर , कल्पना को पंख लगा लेते हैं लोग
पता है वो किसी और की है, फिर भी परेशां होते हैं यह लोग !!

नजरिया अपना बदल बदल का दिमाग में बैठा लेते हैं लोग
अपने घर से उसका पीछा , करने चल देते हैं कुछ लोग !!

जिन्दगी में ऐसी लोग सताए हुए लगने लग जाते हैं
दोस्तों के सामने नित नय किस्से सुनाते हैं कुछ लोग !!

मैने उस को यह कहा, मैने उस को यह कहा, जाने क्या क्या
बाते बना बना कर अपने संग दूसरो का दिल बहलाते हैं लोग !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

कौन बनेगा सरताज...दिल्ली का

आज फिर से चुनाव के नतीजों ने
हिला दिया राजधानी दिल्ली को
"आप " क्या चाहते हैं
"हाथ" या "फूल " को
तलाश जारी है कौन रखेगा
काँटों भरा ताज अपने "गरूर" को !!

केजरीवाल ने छका दिया "शीला "की गतिविधि को
शीला ने सोचा भी न था ऐसा होगा मेरी गतिविधि को
सोच का क्या है, कहीं से भी आ सकती है
चाहे गंजे के सार बाल हों न हो, कंघी तो फिर सकती है !!

भा ज पा ने सच में कमाल कर दिया
कोंग्रेस का उस ने बुरा हाल कर दिया
"आप" को नहीं रहा किसी पर ऐतबार
परंतू लूटने वालो ने सब का बुरा हाल कर दिया !!

क्या होगा "आप" ने क्या सोचा है
क्या लगाना पड़ेगा फिर दरिया में गोता है
चुनाव को दोबारा करने का क्या हाल होगा
कहीं फिर से घूसखोरों का कमाल होगा !!

क्या फिर से पब्लिक पोल नहीं हो सकती
एस एम् एस से वोटिंग नहीं हो सकती
जब हम जीता सकते हैं इंडियन आइडल को
क्यों फिर यह नई बात नहीं हो सकती !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ


तुमको दिल में सजा के रख लूँगा

बिजली कि चमक देखि है
तेरे इन नैनों में मैने उस दिन
जब में अपने शब्दों को तलाश 
रहा था लिखने को अंधेरो में !!

हकीकत बन कर तुम आ गई
सामने मेरे उस दिन
जिस दिन अपनी उलझनों
को संवर रहा था अंधेरे में !!

सुलझा दिया तुमने मेरा
बिगड़ता हुआ वो कल का सपना
यह जान कर खुश हुआ दिल
चलो यह सपना तो है अपना !!

ख्वाब तो रोजाना में देखा करता हूँ
कोई तो हो जो जाने मुझे अपना
यह चन्द लम्हें साथ गुजार लूं
ताकि कोई तो कहने वाला हो अपना !!

यादो कि बारात संजो कर रख लूँगा
तेरे ख्वाबो को में अपना बना के रख लूँगा
दुनिया का क्या है वो तो कहती रहेगी
तेरी हर बात को दिल में सजा केरख लूँगा !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

नफरत का बीज बोना आसान है

नफरत का बीज बोना कितना आसान है

आग लग जायेगी
तूफ़ान उठ जायेंगे
दीवारे उठ जायेगी
क़त्ल हो जायेंगे
रिश्ते तार तार हो जायेंगे
पहचान बाद हो जायेगी
आँखें फिर जायेंगी
जलजला उठ जाएगा

सब खत्म हो जाएगा

काश अगर एक बीज प्यार का बो दोगे
तो नगर प्यार से ही भर जाएगा
धरती कृष्ण मय हो जायेगी
सतयुग का आभास हो जाएगा
दिलो कि मिलावट खत्म हो जाएगी
इंसान कि इंसानियत जाग जाएगी
लोगो का डर रफूचक्कर हो जाएगा

हर तरफ बस जन्नत ही जन्नत होगी
दूरियन नफरतों कि मिट जाएगी


काश,,,,,वो बीज कौन डालेगा, यह कल्पना
कब अपना रूप लेगी , यह सोच एक हो जाये

तो "अजीत" सारे संसार कि दुनिया स्वर्ग हो जायेगी

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

निस्वार्थ सेवा कर के तो देखो.

जिन्दगी में गर तुमने साथ दे दिया किसी का
और वो भी निस्वार्थ दे दिया तुमने किसी का
तो समझो जीवन में बहुत कुछ पा लिया तुमने
उजड़ा घर संवार कर उसको जीवन दे दिया तुमने !!

तमाशा तो गली मोहल्ले में बन्दर वाला भी दिखा देता है
तुम क्यों अपना तमाशा खुद बनाने में आतुर हो रहे हो
तमाशा बना कर किसी का देखना सब से बड़ा गुनाह है
क्या अगर कोई तुम्हारा बनाये तो कैसा लगता है !!

दूसरों पर हँसना शायद सब से आसान हैं लोगो
खुद पर किसी को कोई हंसाये तो जिन्दगी है दोस्तों
हँसना अच्छा लगता है सबको, तो क्यूं न गम भूल
कर हम आज से ही सब को हंसाएं मेरे दोस्तों !!

झूठ कि बुनियाद मैने बनते कभी नहीं देखी
सच का सामना करने से लोगो को डर लगता है
एक झूठ को छुपाने में जीवन गुजर जाता है
तो क्यों न सच को आज से अपनाये मेरे दोस्तों !!

वादा करके मुकर जाना, कुछ लोगो कि फितरत हे
जब निभाया ही नहीं जाता तो क्यों करते हो दोस्तों
तुम्हारे उस वादे का असर उस के जीवन में क्या करता है
इस के लिए किसी से वादा एक बार करके तो देखो दोस्तों !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ


Monday 9 December 2013

बेटी तुम बलवान बनो

बेटिओं को पैदा करने वालो, 
बेटिओं में बेटो सा खून भर दो
घर जब वो वापिस आये जब अपने,
साथ मर्दों सा जज्बा लेकर आये !!

दम इतना उस में होना जरूरी है
कि रुतबा खास होना जरूरी है
राह चलते अगर परछाई भी हाथ
लगाए, तो सबक सीखना जरूरी है !!

बल इतना उसमें भर कर घर से भेजो
कि बल से छल करने वाला भी डर जाये
जीवन भर ऐसा सबक सिखा जाये
कि बल करने वाले का दिल भी डर जाये !!

आज वो समां नहीं कि लड़कियन घबरा जाये
उनको देख कर दूसरे का होंसला डगमगा जाये
ऐसा मुकाम जिन्दगी में बेटिओं के दिल में भर दो
तून बेटा ही है, दुश्मन को सबक सिखा घर वापिस आये !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

जिन्दगी का नाम है बस चलना

जिन्दगी न नाम बस चलना है,
रुकने से जीवन थम जाएगा
जब आये हैं हम दुनिया में 
तो कैसे यह "अजीत" रुक जाएगा !!

काँटों का ताज पहना कर
जीवन बसर करते हैं हम
फूलो पर रात गुजार देना
सब से आसान होता है !!

जिन्दगी में मुश्किल न हुई
तो कैसे कटेगी जीवन कि शाम
मजा तो तूफानों से निकल कर
जिदगी बसर करने में आता है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Wednesday 4 December 2013

क्या कर के मानेगे यह एकता के सिरिअल

जब से देखने लगे लोग, एकता कपूर के सिरिअल
शायद सिखा दिया उस ने बना दिया दुनिया को किलर
एक शादी के साथ साथ, दूसरी रातो रात करवा देती है
उस को देख देख दुनिया , भी मौज उड़ा रही है !!

जितनी भी सलेब्रती देखे, पहली को भगा रहे हे
दूसरी को लाने के लिए, पहली को नचा रहे हे
दूसरी तब आया करती थी, जब पहली मर जाती थी
आज तो पहली के सामने, ही सब कुछ गवा रहे हे !!

चाहे क्रिकेट हो या फ़िल्मी दुनिया के नामी लोग
धन दौलत के बलबूते, संस्कार भुला रहे हैं
पहली को क्यों लाया अब जो उसे भुला रहे हे
खुद तो करते नंगा नाच, दुनिया को भी सिखा रहे हे !!

देख देख कर इन का रूप दुनिया में बढ़ रहे अपराध
हर किसी ने करने कि ठान रखी है ,अब रोज अपराध
बढते देख देख कर दुनिया में नीचता के सारे काम
लोग भूलते जा रहे हैं, करने अपने सारे काम !!

कहते हैं जो बड़ा करता है, उसी के पद चिन्हों पर छोटा चलता है
क्या सोचेगा छोटा वाला, जब बड़े बड़े, यह लोग यह काम करते हैं
शिक्षा सेक्स की रोजाना दिख जाती है , घर और बाजारों में
इन कि शिक्षा ले ले कर , लोग अपना सब कुछ लूटा रहे हैं !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ



काम कुछ ऐसा कर जाऊँगा

काम कुछ दुनिया में ऐसा, कर जाऊँगा,
मरने से पहले अपनी छाप छोड़ जाऊँगा
शब्दों कि माला से जपा करेंगे,दोस्त मेरे
सभी के प्यार का संसार ले ,चला जाऊँगा !!

हसरत पूरी हो गयी जब से आया हूँ में सब के बीच
जब तलक कलम थी चुप, नहीं बना कोई संगीत
आज शब्दों के साथ तराना सब के प्यार का
बना रहा हूँ, बना कर दुनिया से चला जाऊँगा !!

कितने प्यार कि बारिश करते हे, सब मेरे दोस्त
लिखने से पहले ही शायद सोच, लेते हैं मेरे दोस्त
पोस्ट करता हूँ, जब तक पहुँचती है सारी दुआ
इन दुआओं का असर साथ ले कर चला जाऊँगा !!

आज देख रहा हूँ , पढ़ रहा हूँ, सारी कायनात
कल कोंई और आकर पढेगा सारे शलोक दिए मेरे
दुनिया तो चला चली का रेला है, दोस्तों मेरे
आप सभी के आशीर्वाद को ले चला जाऊँगा !!

चाहने वालो कि दुनिया में कभी कमी न होगी
बस उस को देखने के लिए यह आंखे न होंगी
ऊपर वाले के सहारे से उस को भी देख लूँगा
बनकर किसी और रूप में समझना सब के बेच ही रहूँगा !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ