Thursday 5 June 2014

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जिन्दगी तेरे को इम्तेहान देता देता
में थकता जा रहा हूँ
तू रूकती ही नहीं 
और में बेव्बस सा होता ही जा रहा हूँ !!

गुलामी की जंजीरे आजतक
पीछा छोड़ने को तयार नहीं
पता नहीं क्यूं यह नया माहोल तू
त्यार करती जा रही है !!

पता नहीं क्या चाहती है तू
कुछ पाने से पहले दखल दे देती है तू
परेशानी ही बढती जा रही है
पता नहीं क्यूं साथ नहीं देती है तू !!

क्या मिलता है तुझ को यूं
मेरा मन दुखा दुखा कर के
में इक पल की ख़ुशी तलाश करने के लिए
तेरे इम्तेहान ही दिए जा रहा हूँ !!

अजीत तलवार
मेरठ

जिन्दगी तेरे को इम्तेहान देता देता
में थकता जा रहा हूँ
तू रूकती ही नहीं 
और में बेव्बस सा होता ही जा रहा हूँ !!

गुलामी की जंजीरे आजतक
पीछा छोड़ने को तयार नहीं
पता नहीं क्यूं यह नया माहोल तू
त्यार करती जा रही है !!

पता नहीं क्या चाहती है तू
कुछ पाने से पहले दखल दे देती है तू
परेशानी ही बढती जा रही है
पता नहीं क्यूं साथ नहीं देती है तू !!

क्या मिलता है तुझ को यूं
मेरा मन दुखा दुखा कर के
में इक पल की ख़ुशी तलाश करने के लिए
तेरे इम्तेहान ही दिए जा रहा हूँ !!

अजीत तलवार
मेरठ

 जिन्दगी तेरे को इम्तेहान देता देता
में थकता जा रहा हूँ
तू रूकती ही नहीं 
और में बेव्बस सा होता ही जा रहा हूँ !!

गुलामी की जंजीरे आजतक
पीछा छोड़ने को तयार नहीं
पता नहीं क्यूं यह नया माहोल तू
त्यार करती जा रही है !!

पता नहीं क्या चाहती है तू
कुछ पाने से पहले दखल दे देती है तू
परेशानी ही बढती जा रही है
पता नहीं क्यूं साथ नहीं देती है तू !!

क्या मिलता है तुझ को यूं
मेरा मन दुखा दुखा कर के
में इक पल की ख़ुशी तलाश करने के लिए
तेरे इम्तेहान ही दिए जा रहा हूँ !!

अजीत तलवार
मेरठ

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मुझ को प्रेम की भाषा का पता है


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मुझ को प्रेम की भाषा का पता है
मैं प्रेम करता हूँ हर चीज से
प्रेम ही तो है जो तोड़ दे सरहद की दीवार
क्यूंकी इस में जीते हैं जीव बस प्रेम से !!

कितना मधुर सा लगेगा जब
प्रेम का वातावरण हर तरफ बनेगा
न क्लेश होगा, न क्रोध होगा
प्रेम के मिलन का बस माहोल होगा !!

खुशनुमा माहोल से जगमग होगा
न डर , न खतरा, न कत्लेआम होगा
किसी भी पल घर से निकलो,
मिलने वालों के दिल में प्रेम होगा !!

कब होगा वो मिलन संग कान्हा वाला
हर रंग में कभी भी , न भंग होगा
लीला तो रची है उस ऊपर वाले की
बनाने से ही तो हम सब से यह माहोल होगा !!

अजीत तलवार
मेरठ
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हरा भरा रहे अगर वातावरण
तो क्या किसी का कुछ घटता है
वो पेड़ बेचारा तुम्हारी गंदगी लेकर
तुम को जीवन ही तो देता है !!

काट काट के पेड़ों को जला डाला सबने
इक जिन्दा हरियाली का हनन किया ऐसे
जब धुप हो जाये तो क्यूं भागते हैं लोग
उस पेड़ की छाया को ढूँढने जैसे !!

फूलों ने हसना सिखाया, तिनके ने जीना सिखाया
पक्षी का घर बना देने में , तिनके ने भी हाथ बढाया
न जाने कितनी दवा के काम आ गया यह सब कुछ
इंसान की जिन्दगी को आयुर्वेद ने भी तो है जीना सिखाया !!

क्या नहीं देते हैं यह पेड़ पोधे हमको
जीवन देकर जीना भी सिखा देते हैं हमको
मांगते न कुछ खास हम सब से ,फिर भी
फल, फूल, स्वच्छ वातावरण ही देते हम को !!

मत काटो इनको बस थोडा सा तरस खाओ
जैसे चलाते हो कुल्हाड़ी इस पर,एक बार खुद पर चलाओ
उस में भी बसती आत्मा, बस वो कुछ कहती ही तो नहीं
चुप रहकर तुम्हारे किये को सहती, फिर भी कुछ कहती नहीं !!

एक पौधा भी अगर लगा दिया तुमने, इस धरा के लिए
खुश हो जायगा सारा आसमान भी उस पौधे के लिए
कल को वो तुम्हारे ही तो काम आएगा, कभी सोचा है तुमने
"अजीत" जब चित्ता के अंदर संग इनके ही तो जलाया जायेगा !!

अजीत तलवार
मेरठ
 (4 photos)
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 जब भूख लगती है तो इंसान खाने को भागता है
और प्यास लगती है तो पानी की तरह जाता है 
हवस मिटानी होती है तो गलत राह को दौड़ता है 
खून अंदर नहीं होता तो कत्ल की और भागता है !!

वाह रे इंसान तेरी मानसिकता कैसी है 
कुछ पा नहीं पाता है तो छिनने को दौड़ता है 
घर में तो तेरे भण्डार भरे हुए हैं फिर भी
पडोसी के घर कुछ मांगने को दौड़ता है !!

क्यूं नहीं लाता बदलाव अपने जीवन में सुधार का
कुछ अच्छा सा काम कर ले अपने जीवन आधार का
योनी तो आज मिली है, कल वापिस चली जाएगी
जैसे तू करता है न, ऐसे कभी जिन्दगी सुधर न पायेगी !!

भिखारी न बन, शैतान् न बन, इंसान है इन्सान बन
गैरों को अपना बना कर, देख तो बस महान बन
याद करे जमाना, तेरे जाने के बाद , था कोई ऐसा भी
उनके आंसूओं के सैलाब में "अजीत' तेरा नाम हो ऐसा बन !!

अजीत तलवार
मेरठ


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लापटोप बांटने पर लगाम लग गयी है
कैसा लगा होगा सुन कर उन बच्चों को
जिन की सारी भावनाए इधर ही लगी हैं !!

घोषणा करना, और वादा निभाना बड़ा मुश्किल है
कहना आसान और लगातार बांटना बड़ा मुश्किल है
पर कहने से पहले जरा गौर से घोषणा तो कर दो
निभा पाओगे पांच साल , तभी तो वादा कर लो !!

बड़ी ठेस पहुंची उन बच्चों को जो थे इतेजार में
सपने पाल बैठे थे लेपटोप के इन्तेजार में
इतना न निभा सके बच्चों के कोमल मन पर
तो क्या बीतेगी, कल पास होने वाले कोमल मन पर !!

अजीत तलवार
मेरठ


 Photo: कल खबर पढ़ी थी, की उत्तर प्रदेश में
लापटोप बांटने पर लगाम लग गयी है
कैसा लगा होगा सुन कर उन बच्चों को
जिन की सारी भावनाए इधर ही लगी हैं !!

घोषणा करना, और वादा निभाना बड़ा मुश्किल है
कहना आसान और लगातार बांटना बड़ा मुश्किल है 
पर कहने से पहले जरा गौर से घोषणा तो कर दो
निभा पाओगे पांच साल , तभी तो वादा कर लो !!

बड़ी ठेस पहुंची उन बच्चों को जो थे इतेजार में
सपने पाल बैठे थे लेपटोप के इन्तेजार में 
इतना न निभा सके बच्चों के कोमल मन पर 
तो क्या बीतेगी, कल पास होने वाले कोमल मन पर !!

अजीत तलवार
मेरठ

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सुख की तलाश में फिरता है इंसान मारा मारा
इंसान तो सच बड़ा ही ज्यादा लगता है लाचारा
दुःख के एक पल को सर पर उठा दे दे देता है दुहाई,
सुख की बात नहीं कभी उसने किसी को बताई !!

चाहता है पल पल मेरा सकून से गुजरे
मेरी रात सुख से दुसरे की दुःख से गुजरे
वो तनहाई में भी परेशां रहे न चैन मिले उसको
बस खुदा दीन जहान का सारा सुख चैन मिले मुझको !!

कशमकश में उलझा न जाने , ताने बाने बुनता है
अपने लिए दुःख दर्द दूर रहे बस यही वो चुनता है
गहराईओं में जाकर सो जाता है रात भर चैन से
जिस को दर्द दे आया वो रहा रात भर बेचैन से !!

यह तो अच्छा ही है की खुदा ने बना दिया सुख-दुःख को
आज तो सोता है सुख की नीद , कल तो भोगेगा दुःख को
'अजीत" चाहता हूँ.दुःख देने वाले को खुदा इतना दुःख देना
कि आने वाले उस के पूरे परिवार को जन्म जन्म तक दुःख देना !!

सच लिखने में क्या जाता है, झूठ तो नहीं लिखा जाता है
बेकार प्यार की बातों से मन अपना और आपका बहलाया जाता है
ख़ामोशी का टूटना भी बहुत जरूरी है ,इन को भी पता लगना जरूरी है
अपने आराम के लिए न किसी को सताओ, यह कहना भी जरूरी है !!

अजीत तलवार
मेरठ
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