Friday 23 May 2014

Text*******बुढ़ापा अलग अलग होता है *******

कितना हसीन सा गुजर जाता है यह बुढ़ापा
जब खुद की पेंशन साथ निभा रही होती है
गर साथ न हो यह कमबख्त पैसा  तो फिर
बुढ़ापे वाली जिन्दगी कितनी गमगीन होती है !!

पाल पोस के बड़ा करते हैं सब फ़र्ज़ होता है न 
शायद वो ही फ़र्ज़ बाद में सब को क़र्ज़ होता है न
लगाव रखता है इंसान बुढ़ापे का सहारा हो कोई
इस ग़लतफहमी का शिकार होता है कोई कोई !!

पेंशन जिस की आती है, बड़ा सहेज के रखता 
उन का परिवार जिन्दगी भर की कमाई है वो
एक दर्द की खातिर रात में उठ उठा कर दवा देता है वो
कहीं गुजर गयी तो कल क्या होगा यह पेंशन चली गयी तो !!

बड़ा बेदर्द है इंसान पैसे की तरफ भागता है 
मैने देखा है ऐसे हैवान को जो सब लेकर 
अपने बजुर्गों को वर्द्ध आश्रम में भेज देता है
शायद उस के आराम में वो खलल देता है !!

शायद वो भूल जाता है, कि जैसा करेगा ,फिर भरेगा
तेरा किया हुआ ही तो तेरे आगे पगले आएगा 
आज तूने उनको भेजा आश्रम में दिल तोड़ के 
कल तेरा अपना खून भी तो तेरा किया आगे करेगा !!

देख के अपने हाथो की लकीरों को दुखी होते हैं
क्यूं जन्म दिया अपनी इस कोख से वो तब रोते हैं
भिखारी सा जीवन गुजार रहे हैं वो अमीरी गवा के
सोचते हैं तब, बेऔलाद ही होते तो अपने घर होते !!



अजीत कुमार तलवार
मेरठ

















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***** मोदी जी -क्या कमी है उनमे *****
आपकी खातिर अपना सब कुछ वार दिया
नंगे पाँव चल कर आपके लिए वरदान लिया
भूख प्यास की चिंता नहीं की अपना सब हार दिया
ऐसा धर्म निभाया की आपको सर्वोपरी बना दिया !!

लोक लाज की चिंता न की पत्नी धर्म निभा दिया
अकेले रहकर भी आपको इतना महान बना दिया
किस बात की सजा का आपने भुगतान करा दिया
उनके जीवन को आपने क्यूं सुना सा बना दिया !!

देश को तो आप ने बहुत सारा प्यार बाँट दिया
उस प्यार की खातिर घर वालो को छोड़ दिया
पत्नी दे अपना तो काम कर के आपको दिखा दिया
में चाहता हूँ, अब आप भी करो कुछ उनके लिए नया !!

उनके व्रत का मान रख के आप अब कुछ  दिखा देना
उनको उनका खोया हुआ सम्मान अब दे देना
न रहे दिल में कुछ उन के आपके लिए कुछ बाकि
उस देश की गद्दी के साथ उनको भी स्थान दे देना !!

अंधरों से उजाले की और अब आप उनको ले चलो
जिन्दगी में हाथ उन का पकड़ साथ अब ले चलो
जितना बलिदान दिया आपकी खातिर उन्होंने
अब जीवन पथ पर जशोदाबेन जी को साथ ले चलो !!

अजीत तलवार
मेरठ












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Wednesday 21 May 2014

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*************धोखा ही धोखा**************
जिन्दगी में न जाने कब मिल जाये 
कोई कुछ कहे और हम सह न पायें
पल पल की खबर रखता है धोखा
इस से कहीं आप बेखबर न हो जाये !!

अमानत में खयानत कर रहा है इंसान
दुसरे की चीज पर बेईमान हो रहा इंसान
अपनी सम्भाल के रखता है हर पल पल
किसी की भी मुफ्त में लेने को तैयार इन्सान !!

किसी को प्यार में दे जाता है धोखा
अस्मत लूटने का ढूंढता है मौका
कर देता है इतना वो भद्दा काम
कि कहने से भी डरता है इंसान !!

कितना आसान है किसी को दे देना धोखा
उस की दुनिया उजाड़ने का नहीं छोड़ता मोका
हर वक्त नजर गडाए रखता है की कब मिल जाये
इस को जिन्दा जला देने का उस को फिर मौका !!

अजीत तलवार
मेरठ



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***********इतना जरूर कहूँगा 


दोस्त हूँ आपका, दोस्त बनके रहूँगा
जो आप मुझ से चाहेंगे, वो ही कहूँगा
कष्ट तो जरूर सहूँगा, पर इतना जरूर कहूँगा

इंसानियत के रूप में इंसान बन के रहना 
हैवानियत का साथ कभी  भी न देना
बन पड़े तो मदद निहत्थों की करना
किसी को जरूरत हो तो पीछे न हटना !!

वफा का बदला  बेवफा बन के न देना
खुदा ने बहुत कुछ दिया है वो दूसरों को देना
भाई चारा बना के रखना देश की खातिर
घर के झगडे को फसाद में न बदलना !!

तमाशा तो देखना सब को अच्छा लगता है
पर ऐसा तमाशा न दोस्त कभी करना
जिस में इज्ज़त अपनी भी खत्म हो जाये
दुसरे को दुनिया में कहने का मौका मिल जाये !!

धर्म चाहे जो भी हो किसी का,  अपने हाथ नहीं है
पैदा करना और जीवन वापस लेना अपने हाथ नहीं है
जीने का अधिकार सब को है , तो सब को जीने दो
किसी दुसरे की जिन्दगी में खलल देना ,अच्छा नहीं है !!

अजीत तलवार
मेरठ
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Tuesday 13 May 2014

Textआज सत्ता के चक्कर में हो रहा है देश का नुक्सान,
जिस को देखो झंडा उठा कर कह रहा मेरा भारत महान, 
में तो नहीं समझता की देश हो रहा महान, 
हर कोई अपनी हेंकड़ी जमा कर बन रहा शैतान,

बन रहा शैतान बस चिंता है कुर्सी की, 
चाहे बल से मिले या धन से मिले,
फिर चिंता करगे क्या ये बलवान, 
भूख इतनी ज्यादा है की जात पात की खाई पाट दी है,
रिश्तेदारों को भी इस सत्ता ने बहुत तरफदारी दी है,
घर घर में कर दिया न जाने कितना फसाद,
फिर भी बस देखो कहते हैं मेरा भारत महान.

किसी को रोकने को भी निम्न स्तर तक जा रहे हैं,
रूक रूक कर अपने शब्दों के न जाने कितने बाण चला रहे हैं,
जिस को देख बस फिर भी करता रहता है यही बखान,
चाहे कुछ भी हो जाये बस मेरा भारत महान.

इंसान ने अब अपनी इंसानियत को हटा दिया है,
जात पात को सब से ज्यादा बढ़ावा दिया है,
प्यार की कल्पना जब करने लगता है इंसान,
न जाने कहाँ से बीच फिर आ जाता है शैतान,
बाँट कर कुर्सी के मोहमाया को बन रहा बलवान,
फिर सब के सामने आकर कहता है मेरा भारत महान .....मेरा भारत महान..

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

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************माँ तुझे ऐसा न समझा था ***************

माँ ने पैदा किया सब को, सब के साथ ही माँ होती है
पर कहीं कहीं देखा है मैने, सगी भी आजकल सौतेली होती है
व्यवहार बदल जाता है उसका , जब बेटों की शादी होती है
बहु को कभी बेटी नहीं मानती, वह बेटे के लिए भी सौतेली है !!

क्या फायदा इस प्यार की ममता को दिखाने का जग में
किसी के सामने बेटे की बीवी को भी लग जाती है दुत्कारने
मजा तो तब होता , कि वहां भी वो प्यार उमड़ जाता बहु के लिए
वो भी आयी थी इक दिन, अपनी माँ की ममता की गोद को सूना करके !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ
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